बहुत सही बात कही आपने रेखा जी। पुरानी श्वेत-श्याम फ़िल्म ‘आरती’ (1962) का यादगार गीत है :
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
कि मेरे दिल पे पड़ा था कोई गम का साया
इसी गीत का एक अंतरा है:
मैं भी क्या चीज़ हूँ, खाया था कभी तीर कोई
दर्द अब जाके उठा, चोट लगे देर हुई
तुम को हमदर्द जो पाया, तो मुझे याद आया
एक सपने में सर्दी
रात
यादाश्त
वो आत्मा
कॉलबैक
बेहतर के लिए
काम पर
दिन के दौरान
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🙏🙏🙏
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Winter is good to recall both good & bad memories.
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True!!!
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Thanks.
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बहुत सही बात कही आपने रेखा जी। पुरानी श्वेत-श्याम फ़िल्म ‘आरती’ (1962) का यादगार गीत है :
आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया
कि मेरे दिल पे पड़ा था कोई गम का साया
इसी गीत का एक अंतरा है:
मैं भी क्या चीज़ हूँ, खाया था कभी तीर कोई
दर्द अब जाके उठा, चोट लगे देर हुई
तुम को हमदर्द जो पाया, तो मुझे याद आया
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ये पंक्तियाँ सच्ची हैं। कोई समझने वाला हो या अकेले, एकांत में जब अपने आप के साथ समय बिताया जाय। तब बातें ज़्यादा याद आतीं है।
शुक्रिया जितेंद्र जी।
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