संगमरमर
संगमरमर को तराश,
अनचाहे पाषाण को
काट-छाँट, हटा कर हीं
निखरती है सुंदर
अनमोल कलाकृति।
ज़िंदगी को तराशने के
लिए कभी छाँटना पड़े
अनचाहे लोगों को,
तो ग़लत है क्या?
संगमरमर
संगमरमर को तराश,
अनचाहे पाषाण को
काट-छाँट, हटा कर हीं
निखरती है सुंदर
अनमोल कलाकृति।
ज़िंदगी को तराशने के
लिए कभी छाँटना पड़े
अनचाहे लोगों को,
तो ग़लत है क्या?
Beautiful lines ! Thank you 💕😊
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Thanks Priti for appreciating it. You are welcome too. 💕😊
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