ख़्वाब और तितलियाँ
रात के आँचल में,
कई ख़्वाब रंग-बिरंगी
तितलियों से आतें हैं।
बंद आँखों में
खेल जातें हैं।
हाथ बढ़ाते,
आँखें खुलते,
कुछ अधूरी यादें
छोड़ जातें है।
जैसे तितलियों को
पकड़ने की कोशिश में,
उनके परों के कुछ
रंग अंगुलियों पर
छूट जातें हैं।