सितारे

गीली पलकों पर

आँसुओं के चमकते

सितारे देख

आसमान के टिमटिमाते

सितारों ने झुक कर पूछा –

क्या जमीं पर नयनों से

सितारे बोना है?

क्यों है, मायूस चेहरा

और आँखों में आँसू ?

इनसे कुछ मिलेगा क्या?

नहीं ना?

अब ज़रा मुस्कुरा कर जी लो।

मान कर जियो कि

तुम्हारे पास मुस्कुरा कर

जीने के अलावा रास्ता नहीं।

फिर देखो,

ज़िंदगी, अँधेरा दूर कर

कैसे जलाती हैं

ख़ुशियों के चिराग़ ।

11 thoughts on “सितारे

    1. Thanks Seema. I tried to comment on your poem but something went wrong. I posting my comment here –
      नहीं चाहिए
      ख़ूबसूरत रचना। यह दिल की गहराइयों से निकली अभिव्यक्ति है। लिखते रहिए।

      Liked by 1 person

  1. बहुत ख़ूब रेखा जी! वाक़ई यह मान लेने में ही समझदारी है कि मुस्कराकर जीने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।

    Liked by 1 person

    1. जी। यह तो मेरे अपने मनोभाव है। आपको भी पसंद आए, ख़ुशी की बात है। शुक्रिया जितेंद्र जी।

      Liked by 1 person

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s