मुझ में किसी और
की ना खोज हो।
तुम में किसी
और की ना तलाश हो।
हम हम रहें,
तुम तुम रहो।
दूसरों की ज़िंदगी में अपनी
जगह ना बनाने की
कोशिश हो।
दूसरों को अपनी ज़िंदगी में
समाने की कोशिश ना हो।
किसी के साँचे में ना ढलो।
ना किसी और को
अपने साँचे में ढालो।
तुम तुम रहो, हम हम रहें,
ऊपर वाले ने कुछ
सोंच कर
हीं जतन से हर
मास्टरपीस बनाई होगी।
वो आत्मा
अपेक्षित
किसी व्यक्ति से
उत्कृष्ट कृति नहीं
हम लोग हैं
सभी विविधता में
हर एक
महिला या पुरुष
जैसा आत्मा हमें चाहती है
हम नहीं कर रहे हैं
लेखक
हमारे जीवन का
हमे जरूर
कदम दर कदम
जिंदगी
वो आत्मा
दुनिया और आंतरिक दुनिया की हर चीज में
आज्ञा पालन
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धन्यवाद पढ़ने और अपने विचार बताने के लिए।
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Very nice and inspiring lines
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Thanks Ved ji.
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दिन की शुरुआत करें
सिंहावलोकन करने पर
संग्रह में से
तस्वीरों के
आत्मा के ड्रामा में
प्राकृतिक घटना
नई अंतर्दृष्टि के लिए
हर इंसान में
अपने ही ख्वाब से
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Thanks Gamma
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बिल्कुल सही बात ।।बहुत अच्छा लिखा आपने 👌
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शुक्रिया अनुराग!!
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🙏🙏
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वाह बहुत खूब लिखा है 👏👏👏⚘😊
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बहुत धन्यवाद अनिता।
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“मास्टरपीस ” कविता, रेखा !अति सुंदर 😊
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बहुत बहुत आभार धीरेंद्र। मेरी कविता के नाम को बेहद ख़ूबसूरती से आपने प्रशंसा में बदल दिया। 😊
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ये आपकी कविता का असर है की हम सबको इतनी ख़ुशी का एहसास हो रहा है ! कविता के माध्यम से ख़ुशियाँ बाँटने पर आभार 🌷🙏🏾
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Good one Rekha
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Thanks a lot Chiru.
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