दर्द और चुभन कम
करने के लिए,
बार बार चुभनेवाली कील
ज़िंदगी से हटा देनी चाहिए।
अपने लिए जीना,
खुश रहना स्वार्थ नहीं
समझदारी है।
सच्ची बात यह है कि
जो स्वयं खुश हैं।
वही दुनिया में
ख़ुशियाँ बाटें सकतें है।
दर्द और चुभन कम
करने के लिए,
बार बार चुभनेवाली कील
ज़िंदगी से हटा देनी चाहिए।
अपने लिए जीना,
खुश रहना स्वार्थ नहीं
समझदारी है।
सच्ची बात यह है कि
जो स्वयं खुश हैं।
वही दुनिया में
ख़ुशियाँ बाटें सकतें है।
Very true. Live for yourself too.😄
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Thanks for sharing your thoughts. 😊
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☺️
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100% agree
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Thanks Seema. 😊
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Very true!!!
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Thanks a lot Anurag.
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Welcome mam 🙏
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Fantastic! We must all pursue what gives happiness to the soul!
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Exactly!! No one else can do that. Thank you Harshi.
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बात तो ठीक ही है रेखा जी आपकी लेकिन अगर बार-बार चुभनेवाली कील को ज़िंदगी से हटा देना मुमकिन ही न हो तो। कई बार ऐसा होता है कि दर्द और चुभन को सहना भी एक मजबूरी बन जाती है। दर्द की मुक़म्मल हक़ीक़त को दर्द सहने वाला ही जानता है।
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आपने बड़ी व्यावहारिक बात कही है जितेंद्र जी। मैं आपकी बात से सहमत हूँ। कई बार, कई बातें अपने बस में नहीं होतीं हैं। तब उन्हें झेलना हीं पड़ता है।
वैसे सच्चाई यह है कि किसी को भी ज़िंदगी से हटाना कठिन है। पर यदि दूरी भी बना ली जाए। तब बड़ा सुकून मिलता है।
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