दाग़दार चाँद नहीं
किसी को कहता
अपनी ओर देखने ।
आँखें खुदबखुद
निहारतीं हैं।
उसका आकर्षण देख,
चकोर ताक़त है चाँद को।
सागर की लहरें ,
पूनम की रात के
शीतल चाँद को
छूने के लिए
हिलोरे मारती हैं।
अपने में जीवन का
गूढतम रहस्य छुपाए चाँद
घटता और बढ़ता रहता है।
क्योंकि उसे मालूम है
कि अपूर्णता के बाद हीं
पूर्णता मिलती है।
Very nice write up.
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Thank you Prakaash.
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जीवन के दर्शन को दर्शाती हुई
खूबसूरत अभिव्यक्ति 👌🏼👌🏼⚘😊
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शुक्रिया अनिता।
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