रिश्ते October 15, 2021 Rekha Sahay कुछ रिश्ते, टूटे काँच की तरह होते है। जोड़ने की कोशिश में चुभन मिलती है। Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
ठीक कहा आपने। मंज़ूर अहमद साहब की लिखी हुई और आशा भोंसले जी की गाई हुई क्लासिक ग़ज़ल – ‘दर्द जब तेरी अता है तो गिला किससे करें’ का एक शेर है : अक्स बिखरा है तेरा टूट के आईने के साथ हो गई ज़ख़्म नज़र अक्स चुना किससे करें LikeLiked by 2 people Reply
वाह!!! कितनी ख़ूबसूरत और सटीक ग़ज़ल आपने बताई। मंज़ूर साहब की ग़ज़ल बड़ी अर्थपूर्ण है। कम ही लोग इतनी साफ़गोई से अपनी बातें कहते हैं। धन्यवाद जितेंद्र जी। LikeLiked by 1 person Reply
टांका रक्षाहीन नायक अपनी खुद की मैं कि तुम आदमी में अधिक समय तक जीवित रहना शुरुवात समाप्त एक रिश्ता LikeLiked by 2 people Reply
बिल्कुल सही पंक्तिया हैं 👌🏼 रिश्तों को निभाने के लिए हमें ये चुभन कई बार सहन करनी पड़ती हैं । LikeLiked by 3 people Reply
ठीक कहा आपने। मंज़ूर अहमद साहब की लिखी हुई और आशा भोंसले जी की गाई हुई क्लासिक ग़ज़ल – ‘दर्द जब तेरी अता है तो गिला किससे करें’ का एक शेर है :
अक्स बिखरा है तेरा टूट के आईने के साथ
हो गई ज़ख़्म नज़र अक्स चुना किससे करें
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वाह!!! कितनी ख़ूबसूरत और सटीक ग़ज़ल आपने बताई। मंज़ूर साहब की ग़ज़ल बड़ी अर्थपूर्ण है। कम ही लोग इतनी साफ़गोई से अपनी बातें कहते हैं। धन्यवाद जितेंद्र जी।
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टांका
रक्षाहीन नायक
अपनी खुद की
मैं
कि तुम आदमी में
अधिक समय तक जीवित रहना
शुरुवात
समाप्त
एक रिश्ता
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So true👌👌
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Thanks a lot KK.
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So true.
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Thank you Tanvir!
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बिल्कुल सही पंक्तिया हैं 👌🏼
रिश्तों को निभाने के लिए हमें ये चुभन कई बार सहन करनी पड़ती हैं ।
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धन्यवाद अनिता।
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True❤
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Thank you 😊
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