एकांत September 30, 2021 Rekha Sahay एकांत वह नशा है, जिसकी लत लगे, तो छूटती नहीं। भीड़ तो वह कोलाहल है, जो बिना भाव मिलती है हर जगह। Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
सच कहा आपने रेखा दीदी 👌🏼 भीड़ में हम अपनी पहचान भूल जाते हैं ओर एकांत व मौन वो समय है जब हम स्वंम की पहचान पाते हैं । LikeLiked by 1 person Reply
सच है। आह ये महकी हुई शामें, ये लोगों के हुजूम दिल को कुछ बीती हुई तनहाइयां याद आ गईं LikeLiked by 1 person Reply
सच कहा आपने रेखा दीदी 👌🏼
भीड़ में हम अपनी पहचान भूल जाते हैं ओर एकांत व मौन वो समय है जब हम स्वंम की पहचान पाते हैं ।
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मेरे मनोभावों को पसंद करने के लिए आभार अनिता।
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सच है।
आह ये महकी हुई शामें, ये लोगों के हुजूम
दिल को कुछ बीती हुई तनहाइयां याद आ गईं
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आभार जितेंद्र जी।
सुंदर पंक्तियाँ !!!!
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