कुछ समझदारों को कहते देखा है- बात ना पकड़ो !!!!!
पर खुद ऐसे लोगो को हमेशा
बातें पकड़तें देखा,
बातें बनाते भी देखा।
इससे इनके रिश्ते भले छूट जाएँ
या अपने टूट जायें।
ऐसे में यह मुहावरा याद आता है – “पर उपदेश, कुशल बहुतेरे।”
कुछ समझदारों को कहते देखा है- बात ना पकड़ो !!!!!
पर खुद ऐसे लोगो को हमेशा
बातें पकड़तें देखा,
बातें बनाते भी देखा।
इससे इनके रिश्ते भले छूट जाएँ
या अपने टूट जायें।
ऐसे में यह मुहावरा याद आता है – “पर उपदेश, कुशल बहुतेरे।”
चीजें; कुछ ऐसा है जो एक निश्चित रूप, उपस्थिति, एक निश्चित तरीके से मौजूद है और इस तरह धारणा, ज्ञान की वस्तु है।
रिश्ते हैं; किसी से संबंध, कुछ
राजनीतिक, सांस्कृतिक, व्यावसायिक, व्यक्तिगत, पारस्परिक, अंतरराज्यीय, अंतर्राष्ट्रीय संबंध।
दुनिया में चीजें मौजूद हैं।
रिश्ते लोगों को दुनिया से जोड़ते हैं।
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बिलकुल सही। धन्यवाद ।
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मुहावरे ऐसे ही नही बने। एकदम सटीक कहा।👌👌
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हाँ, सही मधुसूदन। बहुत सी कहावतें और मुहावरे बड़े अर्थपूर्ण होते है। छोटे से वाक्य में बहुत कुछ कह जातें है।
आशा है कोविड में आप सब सकुशल होंगे।
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पर उपदेस कुसल बहुतेरे । जे आचरहिं ते नर न घनेरे ।।
वाह ! क्या बात है। किसी लोकोक्ति को कविता में बिठा देना प्रशंसनीय है।
साथ ही कथनी और करनी में अंतर पर करारा व्यंग भी 🙏
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शुक्रिया संतोष।
आजकल कहावतों का चलन कम हो रहा है। जबकि ये ख़ूबसूरती से बातें व्यक्त करने का आसन तरीक़ा है।
आपने लोकोक्ति की पूरी पंक्तियाँ लिख कर कविता को और प्रभावशाली बना दिया।
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😊
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Purani baato main aur muhavaro main bahut saachai h. Subdar 👍
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Han, muhavare ya kahavate ek chote vakya me bahut kuch kah deti hai. Thanks 😊
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Very true indeed. Loved your blogs 😊
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Thank you 😊
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I Love it this Thought
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Thank you.
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