प्रार्थना April 15, 2021April 15, 2021 Rekha Sahay आँखें बंद कर हाथ जुड़ गए, ऊपर वाले के सामने। प्रार्थना करते हुए मुँह से निकला – विधाता ! तुम दाता हो। तुमसे प्रार्थना है – जिसने मुझे जो, जितना दिया। तुम उसे वह दुगना दो! यह सुन ना जाने क्यों कुछ लोग नाराज़ हो गए। Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
बहुत अच्छी और सारगर्भित बात कह दी रेखा जी आपने। दूसरों को सताने वाले तो ऐसी प्रार्थना से नाराज़ ही होंगे क्योंकि जो दिया, वही उनके पास लौटकर आएगा। LikeLiked by 4 people Reply
जितेंद्र जी मैं वास्तव में ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ। मेरी बेटी की शादी में कुछ लोगों ने बिना माँगे मदद किया। तब भी दिल से यही निकला। पर क्या किया जाए जितेंद्र जी, जब दुआएँ भी किसी को बुरी लगे। अपना दिल साफ़ नहीं तब क्या किया जा सकता है। LikeLiked by 2 people Reply
जिसकी नजर जहाँ तक है वो वहीं तक देख सकता है। बहुत ही गहरी बात कही है आपने🙏😊 LikeLiked by 3 people Reply
बहुत अच्छी और सारगर्भित बात कह दी रेखा जी आपने। दूसरों को सताने वाले तो ऐसी प्रार्थना से नाराज़ ही होंगे क्योंकि जो दिया, वही उनके पास लौटकर आएगा।
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जितेंद्र जी मैं वास्तव में ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ। मेरी बेटी की शादी में कुछ लोगों ने बिना माँगे मदद किया। तब भी दिल से यही निकला।
पर क्या किया जाए जितेंद्र जी, जब दुआएँ भी किसी को बुरी लगे। अपना दिल साफ़ नहीं तब क्या किया जा सकता है।
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बेहतरीन 👌🏼👌🏼😊
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आभार अनिता!
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जिसकी नजर जहाँ तक है वो वहीं तक देख सकता है।
बहुत ही गहरी बात कही है आपने🙏😊
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शुक्रिया शैंकी। तुमने बिलकुल ठीक कहा। अपना अपना नज़रिया होता है।
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Great intelligent prayer.
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Thank you Divyen.
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last line made me smile 🙂
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This is the irony Nidheesh. 😊
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This is deep and meaningful.. liked it…
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Thanks Ashish 😊
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