संस्मरण –
यह एक सच्ची घटना है। तब मैं शायद 8 या 9 साल की थी। एक दिन मैं अपने माता पिता के साथ एक पारिवारिक मित्र के यहां पहली बार गई। उनकी बड़ी प्यारी और सुंदर सी बेटी थी। जो लगभग मेरे ही उम्र की थी। वह बार-बार मेरे साथ खेलना चाह रही थी। पर ना जाने क्यों, उसके माता-पिता उसे रोक रहे थे। आखिरकार, वह मेरे बगल में आकर बैठ गई। बड़े प्यार से वह मेरे हाथों और गालों को छू रही थी। मुझे लगा, शायद वह मुझसे दोस्ती करना चाहती है।
फिर अचानक उसने झपट्टा मारा। अपनी मुट्ठी में उसने मेरे खुले, काले और घने बालों को पकड़ लिया और झटके से खींच लिया। जितनी बाल टूट कर उसकी मुट्ठी में आये। वह जल्दी-जल्दी उन्हें मुंह में डालकर खाने लगी।उसके माता-पिता ने जल्दी-जल्दी उसके हाथों से बाल लेकर फेंके।
यह घटना मेरे लिये बेहद डरावना था। उस समय मैं बहुत भयभीत हो गई थी। उसके माता-पिता ने बताया कि यह एक तरह का मनोरोग है। कुछ ही समय पहले उन्होंने अपनी बेटी के पेट का ऑपरेशन करवा कर बालों का एक गोला निकलवाया था। जो कुछ सालों से लगातार बाल खाने की वजह से उसके पेट में जमा हो गया था। इसी वजह से वे उसे मेरे साथ खेलने नहीं दे रहे थे।
तब मुझे मनोविज्ञान या किसी सिंड्रोम की जानकारी नहीं थी। बस रॅपन्ज़ेल की कहानी मुझे मालूम थी। अभी कुछ समय पहले ही मुझे न्यूज़ में इस बारे में फिर से पढ़ने का मौका मिला । जिससे पुरानी यादें ताजी हो गई। तब आप सबों से इस सिंड्रोम की जानकारी बांटने का ख्याल आया।
रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम
वैसे तो रॅपन्ज़ेल लंबे, खूबसूरत बालों वाली एक काल्पनिक युवती का चरित्र है। लेकिन इस कहानी के नाम पर रखा गया, रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम एक अत्यंत दुर्लभ मनोरोग है। ऐसे लोग बाल खाते हैं। खाया हुआ बाल उनके पेट में एक ट्राइकोबोज़र (बाल की गेंद) सा बन जाता है। यह समस्या घातक भी हो सकती है। यह मानसिक बीमारी एक प्रकार का ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर है। वास्तव में रॅपन्ज़ेल सिंड्रोम का कारण क्या है, यह अभी तक नहीं जाना जा सका है।
परी कथा रॅपन्ज़ेल
यह एक जर्मन परी-कथा है। जिसमें डेम गोथेल नामक जादूगरनी है। जिसने सुनहरे, लंबे अौर सुंदर बालों वाली बच्ची रॅपन्ज़ेल को सबकी नज़रों से दूर जंगल के बीच एक ऐसी मीनार में कैद कर दिया। जिस पर चढ़ने के लिए न तो सीढ़ियां थी। ना ही अंदर घुसने के लिए कोई दरवाज़ा। उसमें था तो सिर्फ़ एक कमरा और एक खिड़की। जब जादूगरनी रॅपन्ज़ेल से मिलने जाती । तब वह मीनार के नीचे खड़ी हो जाती थी और उसे यह कह कर बुलाती थी – रॅपन्ज़ेल, रॅपन्ज़ेल, अपने बाल नीचे करो, (“रॅपन्ज़ेल, रॅपन्ज़ेल, लेट डाउन योर हेयर” ) ताकि मैं सुनहरी सीढ़ी पर चढ़ कर ऊपर आ सकूं।
एक दिन एक राजकुमार उस जंगल से गुजरा। राजकुमार ने रॅपन्ज़ेल को गाते हुए सुना। उसके मधुर गीत को सुनकर वह सम्मोहित हो गया। राजकुमार उस आवाज को खोजते हुए मीनार के पास पहुंचा। उसे ऊपर जाने का कोई रास्ता नजर नहीं आया। फिर उसने जादूगरनी को रॅपन्ज़ेल बालों के सहारे ऊपर जाते देखा। जादूगरनी के जाने के बाद राजकुमार भी उस तरीके से ऊपर गया। ऊपर जाकर वह रॅपन्ज़ेल से मिला। दोनों में प्यार हो गया। कहानी के अंत में दोनों ने एक दूसरे से शादी कर ली।
😲😲😲 बेहद विचित्र
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हाँ, विचित्र बीमारी है. अगर अपने बचपन में मैंने सच्चाई अपनी आँखों से नहीं देखी होती . तब मुझे भी इसे पढ़ या सुन कर हैरानी ही होती.
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बिल्कुल, जैसे जैसे भौतिक जगत उन्नति कर रहा है उसी तरह मानसिक रूप से मनुष्यता पतित होती जा रही है।
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हाँ, हो सकता है. भौतिक जगत की सफलताएँ और भाग दौड़ ने मानसिक शांति तो कम कर दी है.
पहले / प्राचीन समय की बातों में कहीं ऐसी बीमारी का उल्लेख नहीं मिलता है. लेकिन यह भी हो सकता है कि विज्ञान और मनोविज्ञान के तरक़्क़ी करने से ये बातें सामने आने लगीं है.
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बुद्धि की जटिलता बढ़ने के साथ ही कुटिलता और विक्षिप्तता दोनों बढ़ी हैं।
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सही कहा ! मनोवैज्ञानिक शोध यह मानते है कि हर gen के साथ IQ बढ़ रहा है. पर सच्चाई यह भी है कि लोगों में ख़ुशियाँ या आत्म संतुष्टि कम हो रही है. शायद जल्दी से जल्दी अधिक पाने की लालसा इसका कारण है.
हमारी संस्कृति और आध्यात्मिकता, हमारे पास जो है उस में ख़ुश रहने की सीख देते रहें हैं. क्योंकि लालसाएँ और ख्वाहिशें तो अनंत होतीं है.
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बिल्कुल सही
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Scary
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Yes, it is. Thanks for reading Anuja.
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That’s really scary and sad🤔🤔🤔
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Yes, I agree. When I faced it, I was scared too Shaheen.
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Was frightening
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I can understand. Its name is based on fairy tale but the syndrome is scary.
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मैं ने बचपन मेें एक ऐसी बच्ची को देखा था। तब आयरन की कमी बताई गई थी। आपने सही कहा यह मनोरोग ही है।
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जी, बिलकुल . यह मनोरोग rare है. पर बड़ा गंभीर है. हाल में मैंने ऐसी ख़बर भी पढ़ी थी.
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