सोन्धी-सोन्धी ख़ुश्बू बिखर गई फ़िज़ा में.
कहीं बादल बरसा था या आँखें किसी की?
कहा था –
ना कुरेदो अतीत की यादों को.
माज़ी…..अतीत के ख़ाक में भी बड़ी आग होती है.
सोन्धी-सोन्धी ख़ुश्बू बिखर गई फ़िज़ा में.
कहीं बादल बरसा था या आँखें किसी की?
कहा था –
ना कुरेदो अतीत की यादों को.
माज़ी…..अतीत के ख़ाक में भी बड़ी आग होती है.
Beautiful 🥰
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Thank you.
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Subhan. Bahut khoob
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Shukriya.
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आभार !!!
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बिल्कुल सही
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आभार !!!
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आभार परम।
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