जान पहचान ! August 1, 2020August 1, 2020 Rekha Sahay किसी को जानना काफ़ी नहीं होता हैं. जानना है सचमुच में, तब अच्छाइयों और कमियों के साथ जानो. जीवन के मोड़ और ऊतार चढ़ाव में पहचानों. उसके सुख-दुख जानो। वरना आईना भी जानता-पहचानता है. रोते देख रोता है हँसते देख हँसता है. पर रहता है दूर, दीवार पर हीं है. Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
गुड maam, बहुत अच्छी कविता है
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आभार अरुण !!
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वाह बहुत खूब लिखा है 👌🏼😊
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आभार अनिता !!! 😊
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