लोगों के चेहरे देखते देखते ज़िंदगी कट गई।
चेहरे पहचानना अभी तक नहीं आया।
मेरी बातें सुन आईना हँसा और बोला –
मैं तो युगों-युगों से यही करता आ रहा हूँ।
पर मेरा भी यही हाल है।
मनचाहा दिखने के लिए,
लोग रोज़ नये-नये चेहरे बदलते रहते हैं।
सौ चेहरे गढ़,
कभी मुखौटे लगा, रिश्वत देते रहते हैं।
पल-पल रंग बदलते रहते हैं।
चेहरे में चेहरा ढूँढने और पहचानने की कोशिश छोड़ो।
अपने दिल की सुनो,
दूसरों को नहीं अपने आप को देखो।
Bhot sundar ma’am !
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Pasand karne ke liye shukriya.
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😊👍
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बात वही पुरानी है रेखा जी कि – दिल को देखो, चेहरा न देखो, चेहरों ने लाखों को लूटा, दिल सच्चा और चेहरा झूठा ।
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बिलकुल सही गीत लिखा है आपने. आभार जितेंद्र जी.
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