सबों ने यह गाना सुना होगा – तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो? पर शायद हीं जानते होगें कि ऐसा डिप्रेशन में भी हो सकता। ऐसे में जाने या अनजाने लोग अपनी तकलीफ मुस्कुराहट के पीछे छुपातें हैं। क्योंकि मानसिक समस्याअों को आज भी स्टिगमा माना जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) ट्रस्टेड सोर्स के एक पेपर के अनुसार, ऐसे डिप्रेशन, क्लासिक डिप्रेशन की तुलना में एंटीटेटिकल (परस्पर विरोधी) लक्षण दिखाते हैं । जिससे यह परेशानी जटिल बन जाता है। अक्सर बहुत से लोग यह समझ भी नहीं पातें हैं कि वे उदास हैं या डिप्रेशन में हैं।
स्माइलिंग डिप्रेशन या अवसाद – ऐसे व्यक्ति बाहर से पूरी तरह खुश या संतुष्ट दिखाई देतें हैं। उनका जीवन बाहर से सामान्य या सही दिखता है। लेकिन उनमें भी डिप्रेशन जैसी समस्याएँ अौर लक्षण रहतें हैं, जैसे उदास रहना, भूख नहीं लगना, वजन संबंधी परेशानी, नींद में बदलाव, थकान आदि। विशेष बात यह है कि ऐसे लोग सक्रिय, खुशमिजाज, आशावादी, और आम तौर पर खुश दिखतें हैं। क्योंकि अवसाद के लक्षण दिखाना इन्हें कमजोरी दिखाने जैसा लगता है।
ऐसे लोगों को किसी भरोसेमंद व घनिष्ट दोस्त या परिवार के सदस्य से खुल कर बातें करना फायदेमंद हो सकता है। मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक, मनोचिकित्सक की सहायता , टॉक थेरेपी आदि से भी समस्या सुलझाई जा सकती हैं।
बहुत ही सूचनाप्रद और समसामयिक लेख। कोरोना महामारी के साथ और बाद में भी मानसिक समस्याएँ खासकर अवसाद एक बड़ी समस्या होने वाली है।
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आभार अश्विनी जी, आपकी बातें बिलकुल सही है. मैं अभी से हीं अपने आसपास लोगों को ऐसे तनाव और डिप्रेशन से गुज़रते देख रहीं हूँ. कठिन समय है अभी, सबों के लिए.
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कोरोना काल मे लगभग सभी लोग अवसादग्रस्त हुए हैं, जो सामान्य है पर यदि समस्या बढ़ जाए तो विशेषज्ञों से सलाह लेना जरूरी है।
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हाँ, बिलकुल.
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True
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Thank you Kamal.
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👍
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Thank you.
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Welcome Rekha.
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