बॉलीवुड, रजतपट, मायानगरी, या अंधेर नगरी?

जिन्हें हम तीन घंटे सुनते हैं. उन्हें यहाँ अनसुना कर दिया जाता है। किसी को भी ङरा कर अकेलेपन का एहसास दिला कर बड़ी आसानी से डिप्रेशन के गर्त में ठेला जा सकता है.

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       बॉलीवुड एक मायानगरी है, जो ज़िंदगी के जंग से जूझते सामान्य लोगों के लिए सपने बुनता है, मनोरंजन ले कर आता है. जिसके पात्रों को आम लोग रोल मॉडल मानते हैं, सराहते हैं. हर तबके के लोग अपने गाढ़ी कमाई से टिकट ख़रीदते हैं, सिनेमा के तीन घंटे में अपने दुःख दर्द भूलने के लिए.

           इस रुपहले  पर्दे के पीछे की सच्चाई इतनी कटु है? यहाँ जीवन-मौत एक खेल बन चुका है ? सिनेमा के सीन की तरह? इनके अपने नियम क़ानून हैं? जिसे चाहें बैन कर दें? यह हक़ इन्हें कैसे मिला? अगर आम लोग या तथाकथित बाहरी लोग इन्हें बैन कर दें? इनके सिनेमा को देखना बैन कर दें? तब क्या करेंगे ये रूपहले पर्दे के जागीरदार ? जिसे ये बाहरी मानते हैं, उनसे हीं  इनका व्यवसाय चलता है.

            ऐसे अनेकों शोध हैं जो स्पष्ट बताते हैं कि किसी को  भी बुली / bully कर, ङरा कर,  आईसोलेट कर, अकेलेपन का एहसास दिला कर बड़ी आसानी से डिप्रेशन  के गर्त में ठेला जा सकता है. आश्चर्य की बात है, जिन्हें हम तीन घंटे सुनते हैं. उन्हें यहाँ अनसुना कर दिया जाता है? होनहार कलाकारों को बैन करनेवाले ये लोग, शायद बेहद कमज़ोर, छिछले और डरपोक हैं. इन्हें अंधो में काना राजा बन कर रहने की आदत है.  इसलिये  प्रतिभावान लोगों से इस क़दर डरते हैं.

 

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आप सबों के विचार आमंत्रित हैं।

14 thoughts on “बॉलीवुड, रजतपट, मायानगरी, या अंधेर नगरी?

  1. आज नही प्रह्लाद युगों से
    पीड़ाओं मे ही पलते हैं

    😑😑 sad , tragic …bollywood never deserved him 🌼

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    1. हाँ, पर प्रह्लाद की भी सुनवाई हुई थी.
      बॉलीवुड में ऐसी बातें कम होने के बदले बढ़ती जा रहीं हैं. जो दुखद है. इतनी बड़ी इंडस्ट्री कुछ हीं लोगों के हाथ में क्यों है? अफ़सोस की बात है कि हमारे देश में मेंटल हेल्थ harassment से सम्बंधित क़ानून की कमी है

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  2. नई प्रतिभाओं से पहले से ही जमे-जमाए लोग हर कार्यक्षेत्र में डरते हैं रेखा जी । फ़िल्मनगरी ही कोई अपवाद नहीं है ।

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    1. बिलकुल ठीक कहा आपने. फ़िल्मी दुनिया ऐसी बातों के लिए पहले से हीं बदनाम है. पर इस हद तक बात नहीं पहुचानी चाहिए थी.

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  3. सही कहा आपने । ये सब डरपोक और बालीबुड को अपने बाप की जागीर समझते हैं । किसी प्रतिभावान को देख नहीं पाते।

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    1. यह सोचनेवाली बात है कि इतनी बड़ी फ़िल्म इंडस्ट्री क्यों कुछ हीं लोगों तक सीमित है. हमारे देश के जनसामान्य को यहाँ प्रवेश में क्यों इतनी बाधाएँ है?

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      1. इसी तरह तो सीमित है ।कोई नया प्रतिभावान गया तो उसे मरने पर मजबूर कर देते हैं या तो मरवा डालेंगे।
        जब इतने talented male actor का ये हाल है तो ये लोग females का कितना harassment करते होंगे।

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      2. बिलकुल सही. यह दुर्घटना व्यक्तिगत loss की तरह लग रहा है.
        मैंने तो निर्णय किया है, उसे बैन करनेवालों के फ़िल्म नहीं देखूँगी.

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      3. आपका निर्णय सराहनीय है। 🙏आप की तरह हम सभी को साथ देना चाहिए ।

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      4. मेरा विचार बिलकुल simple है. हम सब से अर्जित धन के बल पर जो किसी को बैन करता है. उसे हमें बैन कर देना चाहिए.

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