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गर गुल ना खिले गुलशन में,
मौसम, मृत्तिका….माटी, बीज में कमी खोजते हैं सब,
ना कि फूलों में ।
पर अजब बात और ख़यालात है हमारे,
कोई जिंदगी ठोकर से खिलने ना पाये,
टूट जाए,
मुरझा जाये।
तब लोग उस में हीं कमी खोजते हैं.
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May God strengthen us all, so that we may bloom always. Well penned
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Amen!! Thank you 😊
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Nice
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Thank you 😊
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फूल तो दो दिन बहार-ए-जाँ-फ़िज़ा दिखला गए
हसरत उन ग़ुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
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वाह!! बेहद ख़ूबसूरत शेर , मेरी कविता के मर्म के साथ सही बैठता हुआ.
आपका आभार !!
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