बिल्कुल सही बात है यह रेखा जी । फ़िल्म ‘मुक़द्दर का सिकंदर’ में किशोर कुमार जी द्वारा गाए गए गीत ‘रोते हुए आते हैं सब’ का एक अंतरा याद आ गया : ज़िन्दगी तो बेवफ़ा है, एक दिन ठुकराएगी; मौत महबूबा है, अपने साथ लेकर जाएगी ।
कुछ पढ़ने के दौरान ग़ालिब के इस शेर पर नज़र पङी। मुझे यह बेहद पसंद आया अौर सही भी लगा।
फ़िल्म मुक़द्दर का सिकंदर का यह गीत भी बङा अर्थपुर्ण है। वफा-बेवफा की बातें कितनी बेमानी है,
जब पूरी जिंदगी साथ देने वाली अपनी हीं साँसें कब बेवफा हो जायें, मालूम नहीं।
बहुत खूब
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया !
LikeLike
वाह!👍
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया परम, ग़ालिब जैसे रचनाकारों की कुछ पंक्तियाँ पढ़ कर हीं मुँह से “वाह” निकल जाता है।
LikeLiked by 1 person
बिल्कुल सही बात है यह रेखा जी । फ़िल्म ‘मुक़द्दर का सिकंदर’ में किशोर कुमार जी द्वारा गाए गए गीत ‘रोते हुए आते हैं सब’ का एक अंतरा याद आ गया : ज़िन्दगी तो बेवफ़ा है, एक दिन ठुकराएगी; मौत महबूबा है, अपने साथ लेकर जाएगी ।
LikeLiked by 1 person
कुछ पढ़ने के दौरान ग़ालिब के इस शेर पर नज़र पङी। मुझे यह बेहद पसंद आया अौर सही भी लगा।
फ़िल्म मुक़द्दर का सिकंदर का यह गीत भी बङा अर्थपुर्ण है। वफा-बेवफा की बातें कितनी बेमानी है,
जब पूरी जिंदगी साथ देने वाली अपनी हीं साँसें कब बेवफा हो जायें, मालूम नहीं।
LikeLiked by 1 person