दूर कहाँ ??

यह कविता ब्लॉगर दोस्त निमिष की अोर से सभार मेरे लिये।

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दूर कहाँ ??

तुम तो मेरे सबसे करीब हो

विकट से विकट क्षणों में सबसे निकट हो

हाँ , अब तुम मेरी निकटता पर संशय कर सकते

किसी तीसरे का दृष्टिकोण प्रस्तुत कर सकते

अनुपात , क्षेत्रफल , वेग आदि गणितीय दूरी माप सकते

एक-दूजे की नजदीकियों पर प्रश्नचिन्ह लग सकते

पर सत्य बड़ा सात्विक सरल है !!

मेरे सम्मुख खड़ा सजीव व्यक्ति भी मुझसे कोसों दूर है

तन-मन , तम-ताप , उत्सव-उल्लास हर जगह तुम साथ , मेरे करीब हो

शायद इसीलिये तुम 

ब्रम्हाण्ड के दूसरे सिरे से भी साफ साफ नजर आ रही हो….

साफ साफ नजर आ रही हो….

 

Nimish (मेरी एक कविता आप दोनों के लिए)

25 thoughts on “दूर कहाँ ??

  1. खूबसूरत रचना। कुछ करीब होकर भी दूर और कोई ब्रम्हांड के दूसरे सिरे पर भी होकर एकदम करीब।

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      1. बात तो सच है, लेकिन सच के कसम के लिए कान्हा का ज़िक्र कर लिया होता , तब विश्वास हो जाता. 😂💐❤️

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      2. बहुत अच्छा लड़का है शराब को हाथ नही लगाता अब कोई पिला दे तो बेचारा क्या करे।😕

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      3. लड़का बहुत अच्छा है. उसे बिगड़ने से बचाने के लिए उसके माँ-पापा का फ़ोन नम्बर चाहिए.

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      4. देखो बच्चे, अच्छे से पढ़ाई करो. अब उम्र हो रही है हमारी. एक अच्छे डाक्टर की ज़रूरत होगी.

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      5. Sorry blogger buddy, मैं मज़ाक़ कर रही थी. 😂
        बात यहीं ख़त्म करते हैं. माँ-पापा तक complain नही जाएगा.

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      6. वो पढ़ते मेरा blog मेरी शैतानियां …जानते मेरे सभी दोस्तों को❤ 🌸😁

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      7. 😁😂😂😂
        आला टंग चुका है , अब बस साल गिनने है डिग्री तक

        आली भी मिल गई है , बड़के भइया का बियाह प्रथम हो

        😂😂❤❤❤❤❤ love u da

        😂😂😂

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