दिनों की गिनती – लॉकङाउन का 50वाँ दिन

जिंदगी के पचास दिन बीत गये….कम हो गये।

बिना कुछ कहे-सुने, चुपके से एक शाम अौर ढल गई।

दिनों की गिनती शायद हीं कभी इतनी शिद्दत से की होगी।

यह भी एक यात्रा है।

मालूम नहीं कितनी लंबी।

कितने सबकों…पाठों के साथ।

 ना शिकवा है ना गिला है।

पर यात्रा जारी है।

आशा भरे  नये दिन, नई सुबह के इंतज़ार के साथ।

 

Image Courtesy- Chandni Sahay

14 thoughts on “दिनों की गिनती – लॉकङाउन का 50वाँ दिन

  1. लॉक डाउन है मगर कुछ भी नही ठहरा,
    ना वक्त,
    ना जिंदगी,
    और ना ही मौत!
    हम भी कहाँ ठहरे,
    किसी के कदम चल रहे हैं,
    किसी के कलम,
    किसी के आँसूं,
    किसी का राजनीत!
    लॉक डाउन है,
    मगर जिंदगी पहले से ज्यादा बेचैन,
    और बेचैन है,
    वक़्त,
    मौत,
    कलम
    और राजनीति भी!

    Liked by 3 people

    1. बिलकुल सही. ना ज़िंदगी रूकती है ना वक़्त. बहुत उपयुक्त और सही बातें लिखीं हैं आपने. कोरोना का दौर कुछ अजीब सा है. जैसा पहले ना कभी देखा ना कभी सुना.

      Liked by 1 person

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