खालीपन May 11, 2020May 11, 2020 Rekha Sahay अपने अंदर के खालीपन को भरने के लिये हमने कागज़ पर उकेरे अपने शब्द अौर भाव। पर धरा का खालीपन कौन भरेगा? पेङों, घासोँ को काट कागद…कागज़ बनने के बाद? Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
सूनापन भरा कहाँ कभी। रिक्त स्थान को।भरने में लगे हैं न जाने कितना रिक्त कर। भर रही है प्रकृति। बढ़िया सोच और सवाल भी। LikeLiked by 2 people Reply
सही ख़्याल है आपका – सूनापन भरा कहाँ कभी? और जब नाराज़ प्रकृति अपना कोप दिखाती है तब हम सब बेबस हो जातें हैं. LikeLike Reply
Simply beautiful mam 😊
LikeLiked by 2 people
thank you Era.
LikeLiked by 2 people
Most welcome mam 😊
LikeLiked by 2 people
🙂
LikeLiked by 2 people
सूनापन भरा कहाँ कभी। रिक्त स्थान को।भरने में लगे हैं न जाने कितना रिक्त कर। भर रही है प्रकृति।
बढ़िया सोच और सवाल भी।
LikeLiked by 2 people
सही ख़्याल है आपका – सूनापन भरा कहाँ कभी? और जब नाराज़ प्रकृति अपना कोप दिखाती है तब हम सब बेबस हो जातें हैं.
LikeLike
हमें जंगल बचाने होंगें। कागज कम प्रयोग कर। ऐसे ही ब्लॉग लिख कर।
LikeLiked by 1 person
बिलकुल, प्रकृति का संरक्षण ज़रूरी है.
आपका आभार!!
LikeLike
धन्यवाद
LikeLiked by 1 person