चिड़ियों की चहक सहर…सवेरा… ले कर आती है.
नीड़ को लौटते परिंदे शाम को ख़ुशनुमा बनाते हैं.
ढलते सूरज से रंग उधार लिए सिंदूरी शाम चुपके से ढल जाती.
फिर निकल आता है शाम का सितारा.
पर यादों की वह भीगी शाम उधार हीं रह जाती है,
भीगीं आँखों के साथ.
चिड़ियों की चहक सहर…सवेरा… ले कर आती है.
नीड़ को लौटते परिंदे शाम को ख़ुशनुमा बनाते हैं.
ढलते सूरज से रंग उधार लिए सिंदूरी शाम चुपके से ढल जाती.
फिर निकल आता है शाम का सितारा.
पर यादों की वह भीगी शाम उधार हीं रह जाती है,
भीगीं आँखों के साथ.
बहुत सुंदर 👌🙏
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आभार पंकज।
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I loved this.
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Thank you 😊
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I loved this. Especially the second last line.
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Thank you so much.
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You are welcome
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बहुत खूबसूरत पँक्तियाँ।👌👌
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धन्यवाद मधुसूदन!!!
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स्वागत आपका।
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यादों के पन्नों का कुछ एैसा ही है😞
पर जो भी हो दिल से दिल तक वाली पंक्तियाँ है
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आभार !!! कभी कभी ऐसा होता . वह दिन नहीं आता जीवन में जिसका इंतज़ार रहता है.
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