जीवन प्रवाह में बहते-बहते आ गये यहाँ तक।
माना, बहते जाना जरुरी है।
परिवर्तन जीवन का नियम है।
पर जब धार के विपरीत,
कुछ गमगीन, तीखा मोङ आ जाये,
किनारों अौर चट्टानोँ से टकाराने लगें,
जलप्रवाह, बहते आँसुअों से मटमैला हो चले,
तब?
तब भी,
जीवन प्रवाह का अनुसरण करो।
यही है जिंदगी।
प्रवाह के साथ बहते चलो।
अनुगच्छतु प्रवाह ।।
Wow beautiful
उसका मेरे जीवन में आना
बिलकुल
बनारस की गलियों सा था
और अब वो जब जा रही
तो
मंदाग्नि की भांति गंगा नज़र आ रही 😃❤
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thank you. बहुत अच्छी पंक्तियाँ लिखी हैं आपने।
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Thanks dost 😃✨
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welcome 🙂
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sach kahaa mam 💕💕
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Thank you Rishabh.
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