पहली बार देखा और सुना साल में दो बार दीवाली!
दुःख, दर्द में बजती ताली.
साफ़ होती गंगा, यमुना, सरस्वती और नादियाँ,
स्वच्छ आकाश, शुद्ध वायु,
दूर दिखतीं बर्फ़ से अच्छादित पर्वत चोटियाँ.
यह क़हर है निर्जीव मक्खन से कोरोना का,
या सबक़ है नाराज़ प्रकृति का?
देखें, यह सबक़ कितने दिन टिकता है नादान, स्वार्थी मानवों के बीच.

Indeed
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Thanks
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यह कहर है निर्जीव मक्ख़न से , इसका मतलब समझ नहीं आया …. Baki sundar panktiyan!
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कोरोना lifeless fat का बना होता है. जिसके अंदर infection होता है.
आभार!
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Ohh ! Wah …Badi achhi tarah likha hai …Ab smjh aya shukriya btane ke liye 😊
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स्वागत है.
तुमने कारण पूछा, मुझे यह बात अच्छी लगी. 😊
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मुझे लगता है बिना समझे किसी चीज को पसंद या नापसंद करना दोनों बुरा है ! और जब लेखक सामने हो तो पूछना बनता है ना ?
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हाँ, बिलकुल सही विचार है, क्योंकि अक्सर लिखने वाले के मन में कुछ ख़्याल तो रहता हीं है.
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हम्म ! मैम बिल्कुल!
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