थका हरा सूरज रोज़ ढल जाता है.
अगले दिन हौसले से फिर रौशन सवेरा ले कर आता है.
कभी बादलो में घिर जाता है.
फिर वही उजाला ले कर वापस आता है.
ज़िंदगी भी ऐसी हीं है.
बस वही सबक़ सीख लेना है.
पीड़ा में डूब, ढल कर, दर्द के बादल से निकल कर जीना है.
यही जीवन का मूल मंत्र है.

Wah… Right
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Aabar, thank you.
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Very nice lines.
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Thank you Biswa.
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Stay safe
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Thank you 😊
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Satya vachan… Zindagi ka yehi mantra hai… 👍💯
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Aabhaar Ashish.
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बेहतरीन। उम्दा लेखन।👌👌
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बहुत आभार मधुसूदन .
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