आज सुबह बॉलकोनी में बैठ कर चिड़ियों की मीठा कलरव सुनाई दिया
आस-पास शोर कोलाहल नहीं.
यह खो जाता था हर दिन हम सब के बनाए शोर में.
आसमान कुछ ज़्यादा नील लगा .
धुआँ-धूल के मटमैलापन से मुक्त .
हवा- फ़िज़ा हल्की और सुहावनी लगी. पेट्रोल-डीज़ल के गंध से आजाद.
दुनिया बड़ी बदली-बदली सहज-सुहावनी, स्वाभाविक लगी.
बड़ी तेज़ी से तरक़्क़ी करने और आगे बढ़ने का बड़ा मोल चुका रहें हैं हम सब,
यह समझ आया.
बहुत प्यारा 🙏
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शुक्रिया आदित्या.
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बहुत सही बात कहीँ है आपने ….Very nice
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आभार अजय.
आज सुबह वास्तव में मुझे लगा चिड़ियों की मधुर आवाज़ बड़ी तेज़ है. फिर समझ आया. ये तो रोज ऐसे हीं कलरव करतीं है. जो हम अपने बनाए शोर में सुन हीं नहीं पाते.
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जी आप ने बहुत अच्छी बात लिखी है , आज की बढ़ती जनसंख्या और कंक्रीट , पत्थरों केे इस दौर में अनेक सुंदर और सुरीले पक्षियों की मोहक कलरव कहीँ खोती जा रही है ..और इस तरफ हमारा ध्यान ही नही जा पाता , जब की हमें इस तरफ ध्यान देने और मोहक पक्षियों को लाइफ Save करने की जरूरत है ……आपके कमेंट केे लिए आपको बहुत बहुत शुक्रिया ….thanks
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आपसे मैं पूरी तरह सहमत हूँ. यह दुनिया जैसी स्वाभाविक रूप से थी. वह बदल चुकी है- तरक़्क़ी के नाम पर. आपका स्वागत है पोस्ट पसंद करने और अपने विचार लिखने के लिए.
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ji शुक्रिया !
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Well said. Silence is the most Power force of self awareness..take care
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Thank you so much. True and it give the opportunity to think positive and travel inside us.
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वाह सचमुच ! ऐसा लगा बड़े दिनों बाद कि हमारी गहमागहमी के बाहर भी एक इतनी सुंदर दुनिया है !
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हाँ, उस दिन मुझे भी ऐसा हीं लगा. आभार.
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