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कायनात और कोरोना
हम सब न जाने कब से धरा, प्रकृति और उसकी व्यवस्था को अस्वीकार कर रहें हैं. उससे खिलवाड़ कर रहें हैं. हम कायनात या इस दुनिया के नियम व तालमेल को रोज़ तोड़ते और भंग करते हैं। धरा, जल, सागर, आकाश, अंतर…