एक प्रश्न अक्सर दिलो-दिमाग में घूमता है.
एक शिशु जहाँ जन्म लेता है। जैसा उसका पालन पोषण होता है।
वहाँ से उसके धर्म की शुरुआत होती है।
जो उसे स्वयं भी मालूम नहीं।
तब कृष्ण के नृत्य – ‘रासलीला’,
सूफी दरवेशओं के नृत्य ‘समा’ में क्यों फर्क करते हैं हम?
ध्यान बुद्ध ने बताया हो या
कुंडलिनी जागरण का ज्ञान उपनिषदों से मिला हो।
क्या फर्क है? और क्यों फर्क है?
सही कहा। ज्ञान मतलब सत्य। अगर सत्य का पता कही से भी लगे मतलब सत्य से होना चाहिए।👌👌
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सही बात !
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