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भूल
किस से शिकायत करें?सिर पटका दर-ए-ख़ुदा पर.ईश्वर के आगे .कहीं सुनवाई नहीं हुई .ना जाने कहाँ भूल हुई ?भूलना चाह कर भी भूल नहीं सकते.कहते हैं नियति बदली नहीं जा सकती.पर हमें तो था वहम …..हाथ पकड़ कर ज…