“स्वयं से स्वयं को निर्मल कर लें |” क्या बेहतरीन मिसाल दी है : बर्फ | यह रूमी के लिए ही संभव है | साझा करने के लिए शुक्रिया |
कुछ महीने पहले मैंने भी “स्वयं से स्वयं” की बात की तो थी पर अलग ही सन्दर्भ में | आपका यह ब्लॉग देखकर याद आ गया :
खुद को खुद से चुरा ले
ज़िन्दगी के सफर में थोड़ा हँस ले
थोड़ा गाले और गुनगुनाले
मन के शिकवे गिले सब भुला ले
अपने हों या फिर हों कोई पराये
सबको तू गले से लगा ले
सुना उम्मीद पे दुनिया है कायम
स्वयं से पहली उम्मीद लगा ले
अपने आप से प्यार कर इतना
कि खुद को खुद से चुरा ले |
-रविन्द्र कुमार करनानी https://tinyurl.com/qjw9p7x
“स्वयं से स्वयं को निर्मल कर लें |” क्या बेहतरीन मिसाल दी है : बर्फ | यह रूमी के लिए ही संभव है | साझा करने के लिए शुक्रिया |
कुछ महीने पहले मैंने भी “स्वयं से स्वयं” की बात की तो थी पर अलग ही सन्दर्भ में | आपका यह ब्लॉग देखकर याद आ गया :
खुद को खुद से चुरा ले
ज़िन्दगी के सफर में थोड़ा हँस ले
थोड़ा गाले और गुनगुनाले
मन के शिकवे गिले सब भुला ले
अपने हों या फिर हों कोई पराये
सबको तू गले से लगा ले
सुना उम्मीद पे दुनिया है कायम
स्वयं से पहली उम्मीद लगा ले
अपने आप से प्यार कर इतना
कि खुद को खुद से चुरा ले |
-रविन्द्र कुमार करनानी
https://tinyurl.com/qjw9p7x
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रूमी की बातें निराली हैं. उनके बेहद सरल शब्दों में अथाह ज्ञान होता है।
बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने. यहाँ उद्धृत करने के लिए आभार.
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👍👍👍🙏🏻🙏🏻🙏🏻
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Thank you
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