एक दिन मौका मिला जीवन के
प्राचीनतम पाठशाला से
शाश्वत सत्य का सबक लेने का-
“मैं” को आग में धधकते और भस्म होते देखा ,
महसूस हुआ एक रिश्ता खो गया,
फिर खुद से मुलाकात हुई ।
समझ आया जब जीवन का यह हश्र होना है,
तब मिथ्या मोह, अहंकार, गुमान, गरूर किस काम का?
Image courtesy- Aneesh.
Thank you
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Very nice thot
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Thank you Suresh.
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आदरणीय दीदी आपसे बात हो सकती है क्या 8871288482
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आप क्या बात करना चाह रहें हैं?
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Didi aap एक बहुत अच्छे राइटर हो आपका आशीर्वाद चाहिए और मार्गदर्शन मुझे ओर कुछ नही
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शुक्रिया. आप को जो मदद चाहिए, बताइए, मैं कोशिश करूँगी. My mail id- rekhasahay8@gmail.com
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Ok didi धन्यवाद
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Welcome
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यही अपेक्षा थी आपसे हमे यू ही आप का आशीर्वाद बना रहे हम पर
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