हमने खुद जल कर उजाला किया.
अमावास्या की अँधेरी रातों में,
बयार से लङ-झगङ कर…
तुम्हारी ख़ुशियों के लिए सोने सी सुनहरी रोशनी से जगमगाते रहे.
और आज उसी माटी में पड़े हैं…..
उसमें शामिल होने के लिए
जहाँ से जन्म लिया था.
यह थी हमारी एक रात की ज़िंदगी.
क्या तुम अपने को जला कर ख़ुशियाँ बिखेर सकते हो?
कुछ पलों में हीं जिंदगी जी सकते हो?
सीखना है तो यह सीखो।
Image courtesy- Aneesh
you are welcome.
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Greetings
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thank you.
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