हम कभी क़ैद होते है ख्वाबों, ख्वाहिशों , ख्यालों, अरमानों में।
कभी होते हैं अपने मन अौर यादों के क़ैद में।
हमारी रूह शरीर में क़ैद होती है।
क्या हम आजाद हैं?
या पूरी जिंदगी ही क़ैद की कहानी है?
हम कभी क़ैद होते है ख्वाबों, ख्वाहिशों , ख्यालों, अरमानों में।
कभी होते हैं अपने मन अौर यादों के क़ैद में।
हमारी रूह शरीर में क़ैद होती है।
क्या हम आजाद हैं?
या पूरी जिंदगी ही क़ैद की कहानी है?
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Thanks for the invitation. I am already following.
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You are much welcome!
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Jal mein kumbh, kumbh mein jal hai,
Bahar bhitar paani
Phoota kumbh jal jalahi samana
Yeh tatha keh gaye gyaani..
Sant Kabirdas ji…
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कबीर के खूबसूरत, गहरी और अर्थ पूर्ण पंक्तियों के लिए बेहद धन्यवाद मनीष जी ।
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जब हाथी का बच्चा छोटा होता है उसे एक पतली रस्सी से ही बांधा जाता है| वह बार-बार रस्सी को छुड़ाकर भागने की कोशिश करता है, लेकिन वह स्वयं छोटा एवं कमजोर होने के कारण उस पतली रस्सी को तोड़ नहीं सकता और आखिरकर यह मान लेता है कि वह कभी भी उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता| वही हाथी का बच्चा बड़ा हो जाने पर भी यही समझता है कि वह उस रस्सी को तोड़ नहीं सकता और वह कोशिश ही नहीं करता| इस प्रकार वह अपनी गलत मान्यता अथवा गलत धारणा (Wrong Beliefs) के कारण एक छोटी सी रस्सी से बंधा रहता है जबकि वह दुनिया के सबसे ताकतवर जानवरों में से एक है|
मनुष्य का भी शायद ऐसा सा ही कुछ हाल है | वह उन्मुक्त होते हुवे भी अपने को काल्पनिक और अस्तित्वहीन बंधनो में बांधे रखता है , उसने भी मान रखा है की मैं अपने बन्धनों से मुक्त होने में सक्षम नहीं हूँ!
बस इस अवधारणा से, भ्रम से बाहर निकलने भर की देर है कि कैद की कहानी मुक्ति के रवानी में परिवर्तित हो जाएगी | स्वयं की क्षमता के लिए केवल अपने दृश्टिकोण बदलने की दरकार है फिर एक प्रयास, उद्यम,कोशिश और प्रयत्न की जरूरत है, चमत्कार होगा ही |
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रविंद्र जी मैं आपकी बहुत आभारी हूं हमेशा हौसला बढ़ाने के लिए।
“धन्यवाद” इसके लिए छोटा शब्द है। फिर भी आपको बहुत धन्यवाद।
आपने बड़े ही प्रभावशाली तरीके से हमेशा मेरी हिम्मत बढ़ाई है । आपकी बात सही है । हम सब मुक्त होते हुए भी अपने बनाए काल्पनिक बंधनों में बंधे हुए हैं । मैं बहुत प्रयास कर रही हूं सकारात्मकता की ओर बढ़ने की । अक्सर मन में बहुत से प्रश्न आते रहते हैं । जिनका उत्तर खोजने के लिए मैं अपने मन की बातें लिखती रहती हूं । मुझे हमेशा लगता है, लेखन दुनिया के सुधी लेखकों से मुझे ग्रहणीय और सार्थक जवाब मिलेगा । और यह सच भी है । वरना व्यस्त वास्तविक दुनिया के लोगों के पास या तो समय का अभाव है और कुछ जरूरत से ज्यादा व्यवहारिक होते है.
आपकी बातें रुमी की इन पंक्तियोँ की तरह प्रभावशाली हैं-“You were born with wings, why prefer to crawl through life?”
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This is really awesome and so true:“You were born with wings, why prefer to crawl through life?” : Rumi
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I always appreciate Rumi’s verses, as the are deep and thought provoking. Thank you.
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