सैलाब October 21, 2019November 6, 2019 Rekha Sahay गीले आँखों से बरसते सैलाब को देख जाती हुई बारिस ने भी रुक कर साथ देना तय कर लिया है. Rate this:Share this:FacebookMorePinterestTumblrLinkedInPocketRedditTwitterTelegramSkypeLike this:Like Loading... Related
वाह! खूबसूरती से अपने मन की बात कही है आपने | अच्छा है ‘जाती’ बारिश ने साथ दिया है, क्या पता जाते जाते इस सैलाब को भी साथ ले जाये | LikeLiked by 1 person Reply
आपकी बातें हमेशा हिम्मत और हौसला बढ़ाती हैं। बहुत आभार पढ़ने और पसंद करने के लिए। LikeLiked by 1 person Reply
बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब रेखा जी ! आपने मुकेश जी का अमर गीत तो सुना ही होगा : तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ । इस गीत का एक अंतरा है : घटाओं, तुम्हें साथ देना पड़ेगा मैं फिर आज आँसू बहाने चला हूँ LikeLiked by 2 people Reply
शुक्रिया जितेंद्र जी. आप बिलकुल सही सटीक पंक्तियाँ लिखते हैं. जो क़ाबिले तारीफ़ है. LikeLiked by 1 person Reply
वाह! खूबसूरती से अपने मन की बात कही है आपने |
अच्छा है ‘जाती’ बारिश ने साथ दिया है, क्या पता जाते जाते इस सैलाब को भी साथ ले जाये |
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आपकी बातें हमेशा हिम्मत और हौसला बढ़ाती हैं। बहुत आभार पढ़ने और पसंद करने के लिए।
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Nice
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thank you.
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बहुत ख़ूब ! बहुत ख़ूब रेखा जी ! आपने मुकेश जी का अमर गीत तो सुना ही होगा : तेरी याद दिल से भुलाने चला हूँ । इस गीत का एक अंतरा है :
घटाओं, तुम्हें साथ देना पड़ेगा
मैं फिर आज आँसू बहाने चला हूँ
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शुक्रिया जितेंद्र जी. आप बिलकुल सही सटीक पंक्तियाँ लिखते हैं. जो क़ाबिले तारीफ़ है.
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Is it bad to cry ?
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No, not at all. Why ?
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Just curious
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