कैद तारीखों का

दीवार पर लगे कैलेंडर पर
आज भी तारीख और साल वही है ।
ठहर गई है वह तारीख जिंदगी में भी ।
रिहा कर दो , बख्श दो तारीखों के कैद से ।
हाजिरी लगाना दर्द देता है इस मुकदमे में।

 

 

2 thoughts on “कैद तारीखों का

Leave a comment