ज़िंदगी से चुराए
कुछ लम्हों से बदला
नहीं जा सकता मौसम .
पतझड़ तो आएगा हीं
जीवन हो या मौसम .
हाँ, मौसम-ए-बहार के
के आने के भ्रम में….
इंतज़ार में…..
कट जाते हैं पल ,
ग़म-ए-ज़िंदगी
का राज सुनाते,
शोर मचाते सूखे पत्तों के साथ .
ज़िंदगी से चुराए
कुछ लम्हों से बदला
नहीं जा सकता मौसम .
पतझड़ तो आएगा हीं
जीवन हो या मौसम .
हाँ, मौसम-ए-बहार के
के आने के भ्रम में….
इंतज़ार में…..
कट जाते हैं पल ,
ग़म-ए-ज़िंदगी
का राज सुनाते,
शोर मचाते सूखे पत्तों के साथ .
बहुत सुन्दर रचना 😚☺☺👏👏👏
मेरी एक कविता “तारीख ” की कुछ लाइनें
कुछ तारीखों में हरियाली
तो कुछ पतझड़ के नाम रहेंगे
कुछ तारीखों में दिनकर से बैर
कुछ में वही दिनकर मन भायेगा
समय समय की बात है प्रियवर
हर तारीख नये रंग दिखलायेगा
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शुक्रिया Nimish
बहुत Sunder Kavita लिखी है तुमने.
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🙂 🙂
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Yes, but after night sunshine brings a new day. So both are equally important.
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Bahut sundar rchana
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धन्यवाद संगम.
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स्वागत आपका
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Bahut badhiya
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Thank you Saba
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Beautiful
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Thank w
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