कभी-कभी समय के प्रवाह में
बहते-बहते हम विचारों की
उस दुनिया में पहुँच जाते हैं,
जहाँ से लौटने में अपने को
जगाना पड़ता है……
फिर भी लौटने में वक़्त लगता है…
कभी-कभी समय के प्रवाह में
बहते-बहते हम विचारों की
उस दुनिया में पहुँच जाते हैं,
जहाँ से लौटने में अपने को
जगाना पड़ता है……
फिर भी लौटने में वक़्त लगता है…
सही बात है
वापस आना भी इतना आसान कहां होता है
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ये विचार बड़ा उलझाते हैं. शुक्रिया!
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सबकुछ विचारों का ही तो खेल है.. बहुत सुंदर लिखा👌
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विचार…कल्पनाएँ ना जाने कहाँ कहाँ भटकाती हैं.
आभार संगम .
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बिल्कुल सही
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❤ ❤ ❤
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Thank you Flor
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my pleasure!!
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nice line
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Thank you so much
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बेहतरीन अभिव्यक्ति! पढ़ते पढ़ते ऐसे ही विचार आया , क्या आपको नीचे की बात भी सही लगती है क्या?
कभी कभी विचारों के प्रवाह में
बहते-बहते हम समय के
ऐसे अन्तराल में पहुँच जाते हैं
जहाँ से लौटने का
मन ही नहीं करता |
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बिलकुल ऐसा होता है और तब लगता काश वक़्त ठहर जाए .
अपने विचार व्यक्त करने के लिए बहुत आभार आपका .
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ये विचार ही हैं जो जोड़ रखा है, हमको आपसे और औरों से। जैसे कोई जन्मों का रिस्ता हो।
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सही कहा आपने . धन्यवाद.
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