शब्दों से…सहारे से…ना समझाओ हमें,
कि हमने सब संभाल रखा है बड़े अच्छे से।
जब हम न संभाल सकें
टूटने दो हमें भी कभी कभी ……..
चाह नहीं है हमें हमेशा पहाड़ों को जीतने की।
कभी कभी पेड़ों के झुरमुट में चुपचाप चलना,
चँद बुंद आँसू बहाना भी अच्छा लगता है.
Helo
LikeLiked by 1 person
Hi
LikeLike
Hi 👋👋🙏
LikeLiked by 1 person
Hello
LikeLike
यह सच है। कभी-कभी हमें सबसे सरल जीवन जीने के लिए बदलाव करने की आवश्यकता होती है। बहुत बढ़िया आपकी कविता।
LikeLiked by 1 person
बहुत आभार Macalder. It means a lot to me.
LikeLiked by 1 person
अच्छी अभिव्यक्ति👌,जो वक़्त के साथ खुद को नहीं बदलता वक़्त उसे खुद बदल देता है.।
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद , बिलकुल सही.
LikeLiked by 1 person
स्वागतम🙏
LikeLiked by 1 person