धूप की चादर तले,
धूप-छांव से आँख मिचौली खेलते
बादलों को देख ख़्याल आया-
गुज़रे पुराने दिनों से किसी
एक दिन से थोड़ा सर्द शाम चुरा लें,
तो शायद पुराना मौसम लौट आए….
यादों के धुँध में लिपटा हुआ.
धूप की चादर तले,
धूप-छांव से आँख मिचौली खेलते
बादलों को देख ख़्याल आया-
गुज़रे पुराने दिनों से किसी
एक दिन से थोड़ा सर्द शाम चुरा लें,
तो शायद पुराना मौसम लौट आए….
यादों के धुँध में लिपटा हुआ.
Bahut badhiya dost 🙂
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Shukriya Nimish.
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