रात बीत जाती है,
सहर…सवेरा भी होता है.
सूरज भी निकलता है,
पर मन में अँधेरा हीं होता है .
तभी छोटे से जलते चिराग़
का हौसला देखा.
जो रोशन जहांन को कर
अब सोने की तैयारी कर रहा था.
रात बीत जाती है,
सहर…सवेरा भी होता है.
सूरज भी निकलता है,
पर मन में अँधेरा हीं होता है .
तभी छोटे से जलते चिराग़
का हौसला देखा.
जो रोशन जहांन को कर
अब सोने की तैयारी कर रहा था.
Waha!!!
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Thank you 😊
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Welcome
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बहुत खूब। सुंदर अभिव्यक्ति।👌👌
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धन्यवाद!!!!
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