किसी की बातों से लगता है
जैसे कोई ज़ख़्म कुरेद रहा हो.
किसी की बातों से लगता है
जैसे दुखते घाव पर
शीतल मलहम रख दिया हो.
हम इसमें से कौन से हैं ?
और इनमें से कैसे लोगों
से मिलना चाहेंगे ?
किसी की बातों से लगता है
जैसे कोई ज़ख़्म कुरेद रहा हो.
किसी की बातों से लगता है
जैसे दुखते घाव पर
शीतल मलहम रख दिया हो.
हम इसमें से कौन से हैं ?
और इनमें से कैसे लोगों
से मिलना चाहेंगे ?
लोगो का तरह तरह का व्यवहार होता है, हम लोगो को खुद से मिलना चाहिए , हम लोग खुद ही बड़े अच्छे हैं 😊
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बिलकुल , ख़ुद से मिलें और ख़ुद को समझें. यह वास्तव में ज़रूरी है .
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काश कि चुनना हमारे हाथ में होता !!👍
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सच्चाई समझने के बाद तो हर व्यक्ति ऐसे लोगों से दूर रहता है.
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ये तो है ही!!
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😊
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अपने शब्द सोच समझ कर बोलना चाहिए
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बिलकुल, शब्द तभी तक अपने हैं, जब तक बोला ना जाए . बिना सोचे समझे बोल गए शब्द तीर का काम कर करते है।
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कभी मरहम की तरह, आप की इच्छा है कैसे प्रयोगे करे। बाकी कोशिश हमेशा अच्छा ही बोलने की करना चाहिए।
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हाँ ! बिलकुल सही .
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🤗🤗
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आज मेरे भी ज़िंदगी में रंग भरने लगा है🌸😊
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यह बहुत अच्छी बात है.
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