हर ज़ख़्म, हर चोट भर जाती हैं.
सुर्ख़ निशा ….दाग़ छोड़ कर,
याद दिलाने के लिए –
उन राज… को,
उस बात को
भूल ना जाना…..
….रेत पर पड़े निशा सा.
जो दिल के पन्नों पर …,
रूह पर …,
बिन स्याही लिख गए हैं.
वे सबक़ हैं ज़िंदगी के.
हर ज़ख़्म, हर चोट भर जाती हैं.
सुर्ख़ निशा ….दाग़ छोड़ कर,
याद दिलाने के लिए –
उन राज… को,
उस बात को
भूल ना जाना…..
….रेत पर पड़े निशा सा.
जो दिल के पन्नों पर …,
रूह पर …,
बिन स्याही लिख गए हैं.
वे सबक़ हैं ज़िंदगी के.
वाह बहुत ख़ूब👌
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शुक्रिया !!!
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🙏😊
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😊😊
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Wah, kitni gehri baat kahi appne Rekha 👌
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शुक्रिया राधिका .😊
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Nice
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thank you Saba.
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Your welcome Rekha ji
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Sooo deep🙏
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Thank you Shanky.
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