बूँदें

बारिश की झमाझम बरसती

बूंदों से पूछा –

क्यों इतने ऊपर जाकर

वापस नीचे आती हो ?

हँसकर कहा बूंदों ने –

यह तो धरती को चूमने

की ख़्वाहिश है…..

जो हमें खींच लाती है .

28 thoughts on “बूँदें

    1. बड़ी रिमझिम बारिश हो रही है यहाँ . उसे देखकर कुछ पंक्तियाँ मन में आ गयी. बस लिख डाला .
      आपका शुक्रिया

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      1. उनको भी लगा होगा
        कवयित्री हैं
        कुछ जरूर लिखेंगी मेरे सम्बन्ध में
        और आपने लिख ही दिया।🙂

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      2. किनको? बरसात और बूँदों को ? अरे, मैं तो कुछ भी लिखते रहतीं हूँ .

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  1. बारिश के मौसम में तुम्हें याद करने कि आदतें पुरानी है – अबकी बार सोचा है पुरानी आदतें बदल डाले लेकिन फिर खयाल आया आदतें बदलने से बारिश तो नहीं रुकती😅😅😅

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