17 thoughts on “तब और अब

    1. जब किसी के साथ रहो , तब लगता है – एक दूसरे का साथ दें. और जब किसी के साथ बहुत समय तक रहो, तब उसकी कुछ आदतें भी हम अपना लेते हैं.
      जैसे – पति-पत्नी, माता-पिता और बच्चे का सम्बंध.

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  1. बहुत ही सुन्दर! अब पता चला महान लोगों ऐसे ही महत्वपूर्ण नहीं होते।
    मैं इसे निगेटिव रूप में ले रहा था- पहले एक दूसरे पर जान छिरकते थे। अब जैसा तू वैसा मैं☺️

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    1. धन्यवाद . अरे मैं सिम्पल लोगों में से हूँ.
      सिर्फ़ दो हीं पंक्तियाँ हैं, इसलिए अर्थ स्पष्ट नहीं हुआ.
      अक्सर हम अनजाने हीं अपने माता-पिता/ role मॉडल के व्यवहारों का अनुकरण करने लगते हैं. इसलिए मैंने ये पंक्तियाँ लिखीं हैं.

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      1. फिर भी, एक बुद्धिजीवी लोगों और घटिया लोगों के विचारों में बहुत अंतर होता है।

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      2. मेरे ख़्याल में यह हमारी सोंच और मन की स्थिति का भी नतीजा है. जिसके जीवन में जो बातें महत्वपूर्ण हैं वैसे हीं ख़्याल आ जातें हैं.

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  2. Waah kyaa khub likha …….dil ko chhu gayee……aisaa pariwartan ham men bhi hua hai…..

    तब थे एक दूसरे के लिए,
    अब बन गए एक दूसरे के जैसे,
    ममता तुम्हारी,करुण मेरी छाती,
    तुम्हारे ही जैसे बनी मैं भी त्यागी,
    बनी माँ समझती तेरे त्याग कैसे,
    अब बन गए एक दूसरे के जैसे|

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    1. आपने कविता के मर्म को समझ कर बड़ी प्यारी पंक्तियाँ लिखीं हैं. बहुत आभार मधुसूदन.

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