हथेलियों पर रखे थे
चंद नाज़ुक यादों को
सहेज कर.
हवा के झोंके के साथ
रेत सी कहीं सरक गई
ज्योंहीं कोशिश किया
मुट्ठी बंद करने की .
Logo courtesy- Kumar Param, blogger.
हथेलियों पर रखे थे
चंद नाज़ुक यादों को
सहेज कर.
हवा के झोंके के साथ
रेत सी कहीं सरक गई
ज्योंहीं कोशिश किया
मुट्ठी बंद करने की .
Logo courtesy- Kumar Param, blogger.
Bahut khoob
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शुक्रिया.
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कमाल का पोस्ट लिखीं हैं मैम आपने। इसे मैं अपने whatsapp और facebook पर पोस्ट करना चाहता है।
इन पंक्तियों में बहुत बातें छुपी है।👍
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शुक्रिया कुमार। ज़रूर पोस्ट करो.
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Please Check mail.
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तुम्हारा बनाया logo , तुम्हारे नाम के साथ मैंने पोस्ट पर डाल दिया है. 😊
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Thank you 😊
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Welcome Kumar
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Lovely
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Thank you 😊
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Behtareen kavita!
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Shukriya.
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