गुस्ताखियाँ, बे-अदबी छोड़,
अदब से पेश आओ
मिट्टी की इस काया से.
कौन जाने क्षणभंगुर
ज़िंदगी का हबाब….बुलबुला…
कब हवा के झोंके में खो जाए .
गुस्ताखियाँ, बे-अदबी छोड़,
अदब से पेश आओ
मिट्टी की इस काया से.
कौन जाने क्षणभंगुर
ज़िंदगी का हबाब….बुलबुला…
कब हवा के झोंके में खो जाए .
nice ^-^
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Thank you 😊 Arooba
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Wah!!!
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Shukriya jyoti .
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Aapka swaagat hai 😍😍😍
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Nice
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Thank you
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सुंदर!
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धन्यवाद !!
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Waah..what a lovely post!
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Thank you Harina.
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फिर कमाल👍☺️
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आभार तुम्हारा 😊
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Reminds me of कितने सामाँ कर लिए पैदा इतनी छोटी सी जिंदगी के लिए। धन्यवाद। जय
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शुक्रिया , उम्दा पंक्तियाँ है .
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