आने वाले कल
आएगा या नहीं, मालूम नहीं.
फिर भी सारी कायनात……
सारी योजनाएँ…….
उस पर टिकी होतीं हैं.
और बीते पतझड़ जिनका
अब कोई अस्तित्व नहीं,
उनके सूखे, पीले, उदास पत्ते,
बीते कल की ओर
खींच ले जाते हैं.
अपना आज हम सब
इन्हीं की सोचँ में बीता देते हैं.
सही कहा आपने जो गया उसके गम को लेकर बैठे रहते हैं और जिसका अता-पता ही नहीं उसकी चिंता अभी से पर जो हो रहा है उसमें नहीं जीएंगे।
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बिलकुल सही Subi. हम सब की ऐसी आदत होती है .
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सही कहा आपने लोग जो बीत गया उसके गम को लेकर बैठे रहते हैं और जिसका अता-पता ही नहीं उसकी चिंता अभी से करते हैं पर जो चल रहा है उसमें नहीं जीएंगे।
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तुम्हारे विचार अच्छे लगे. मैं भी अक्सर ऐसी ग़लतियाँ करतीं हूँ .😊
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कोई ना होता है ऐसा ☺️
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मैं समझी नहीं .
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आप बोल रहे हों ना मैं अक्सर ऐसी गलतियां करती हूं…बस उसी के लिए बोल रही हूं कि कोई बात नहीं हो जाती है गलतियां।
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So sweet of you Subi. हाँ, अनचाहे कुछ पुरानी बातें अक्सर पीछे खींच ले जातीं हैं.
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शुक्रिया 😊
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😊💐
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bilkul sahi kaha…..magar ye satya hai ki ham naa hi bhavishya se khud ko upar nikal paate hain naa hi bhut se.
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आप की बातों में सच्चाई है. जिसने यह सीख लिया वह सामान्य मानव से श्रेष्ठ हो जाएगा .
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बिल्कुल सही।
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बात तो सही है…पूर्ण रूप से सहमत है हम
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बहुत आभार कविता पढ़ने और अपने विचार लिखने के लिए .
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