कुछ अजीब सी बात है ,
सिर्फ़ लड़कियों के लिए.
चाँद पर, स्पेस में …. लड़कियाँ
भेजी जा सकती हैं.
पर मोबाईल रखने पर प्रतिबंध ?
क्या यह सही है ?
आप सबों के विचार आमंत्रित है.
कुछ अजीब सी बात है ,
सिर्फ़ लड़कियों के लिए.
चाँद पर, स्पेस में …. लड़कियाँ
भेजी जा सकती हैं.
पर मोबाईल रखने पर प्रतिबंध ?
क्या यह सही है ?
आप सबों के विचार आमंत्रित है.
विडम्बना है ये इस समाज की, ये दुनिया ही ऐसी है यहाँ औरत या लडकी के कर्त्तव्य तो बताये जाते हैं लेकिन उनके अधिकारियों का ख्याल किसी को नहीं है। ये पुरूष प्रधान समाज लड़की को आजाद नहीं देखना चाहता क्योंकि इन्हें डर है कि कहीं नारी जागरूक हो गई तो उनकी विरासत में मिली एकात्मक सत्ता छिन जायेगी।
सच में दिल रोता है ऐसे किस्से सुनकर।
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तुम्हारे विचार सराहनीय हैं गिरिजा . मुझे भी ऐसा हीं लगता है . देश का शासन महिलायें / लड़कियाँ चला सकतीं हैं पर फ़ोन नहीं . विचित्र विचार है .
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अफ़सोस इस जमाने पर रेखा जी। 😞
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बिलकुल . ज़माना बदलने पर यह हाल है.
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उन्होंने किस घटना के संदर्भ में यह प्रतिबंध लगाया है ..यह समझ कर ही कुछ कहा जा सकता है हालांकि ऐसा प्रतिबंध लगाना उचित नहीं है ..!
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इस ख़बर को विस्तार से दिए हुए link पर पढ़ सकते हैं.
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Ok… thanks…
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Welcome
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सुयोग्य के लिए प्रतिबंध सही नहीं है।
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सुयोग्य का फ़ैसला कौन करेगा?
आज जब माता पिता बड़े बच्चों को भी मोबाईल देने लगे हैं, तब लड़कियों पर यह बंधन क्यों ? और लड़कों पर क्यों नहीं ?
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this is as my “friendship in social shadows”
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I couldn’t get your point exactly Rishabh .
In my opinion It’s a surprising restriction for girls.
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really you are right… I said it feels very similar to my last post….on restrictions by this surprising society
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Ok, thank you Rishabh. I completely agree with you.
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सबसे मूखर्तापूर्ण निर्णय।
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आज के युग में इस तरह की बातें तो मूर्खतापूर्ण हीं हैं. लेकिन ऐसे भी लोग हैं.
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sahi kaha aap dono ne
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True.
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the ones who are guilty from inside put more restrictions, as they themselves have broken the trust of their loved ones.
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I truly appreciate your thoughts. You are absolutely right. Thank you.
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My pleasure Rekha
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गलती तो मेरी ही है…….एैसे समाज का निर्माण हम ही करते है……..ना कि समाज हमारा निर्माण करती है।
अगर समाज में एैसी आवाज उठती है तो हम सब को इस अावाज को हि बंद कर देना चाहिए।
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बिलकुल . तुम्हारी हर बात उचित है . अफ़सोस की बात है कि हमारे समाज की सोंच इतनी पिछड़ी है.
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