चाँदनी बिछी सतह चाँदी बन चमक उठी.
बंद द्वार खुला पा कर भी,
लगा किसी ने पैरों को जकड़ लिया है.
कई दिनों से बंद धूल धूसरित
फ़र्श पर किसी तरह पैर रखते
पहचाने पद चिन्हों को अपने ऊपर
अंकित पा घर स्वागत कर उठा पर,
उसकी आँखों से झरझर आँसू बह रहे थे.
यह था उसका अपना घर .
Fabulous
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Bahut Acha ji …👌👌
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Thank you 😊
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घर तो बस घर होता है!!
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बिलकुल ! आभार.
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दिल भी एक घर है जो अचानक किसी को समीप पाकर जिसकी यादों पर एक धूल की परत सी पड़ गयी हो बून्द आंखों से छलक ही जाती है।
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बहुत सही मधुसूदन . आभार इतने अच्छे विचार लिखने के लिए .
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Swagat apka….khbusurat post ke liye.
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Thank you so much 😊
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Aap kuch dino baad nazar aye Madhusudan.
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Haa …..abhi vyast jyada hain…..aap sab ke samip roja aanaa nahi ho paa raha hai.
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Ok. Kaam bhi jaruri hai.
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सुंदर अभिव्यक्ति..रेखा जी!
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शुक्रिया 😊
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Awesome
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Thank you 😊
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